किस्सा ए कालेज...


हमारा कालेज है ऐसा
जहाँ पढाई के सिवा सब कुछ होता
क्लासों के नाम पर है बरामदें
चपरासी यहाँ के दिनभर चाय छानते
कुर्सियों पर पड़ी ऐसी धूल
जैसे खिले हो केक्ट्स के फूल
पुराने खंडहर से बना हमारा महाविधालय
बरसों पुरानी किताबों से भरा पड़ा है पुस्तकालय
पानी का तो अच्छा इंतजाम यहाँ
पर पानी आता यहाँ से,मानों काई जमीं हो वहां
साइकल स्टैंड हमारा बड़ा अच्छा है
दो नीम के पेड़ हैं ,जिसके नीचे साइकल रखता हर बच्चा है
बोटनी गार्डन की तो बात ही क्या
हर एक जंगली झाड़ी,सांप मिले वहां
शोचालय तो हमारा बड़ा ही अच्छा
बस नदारद है उसका दरवाजा
और क्लर्क उनकी पूछो भाई
चाय ही पिने में शायद पूरी पगार है उनने गंवाई
प्रेक्टिकल का तो आज हमारा टर्न है
पर क्या करें मेडम ही रिटर्न है
गेट के पास है,प्रिंसिपल रूम खास
जाना तब उधर जब लगे प्यास
क्योंकि आगे है एक नल
पानी चूँ रहा है जिसका आजकल
पर निचे है एक सीमेंटेड टब
सौरी यह आपके लिए है कब?
यह तो गाय-भेंसो के लिए है
क्योंकि इनका जिम्मा भी तो कालेज पर ही है
किस्सा कालेज सुनते-सुनते
हो गयी अब शाम

||सब बोलो प्रेम से ||
||जय श्री राम||


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