रात में सोते समय कमरे की लाइट चला के रहने से व्यक्ति के मूड पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है|बेडरूम की लाइट चला के रखने से दिमाग पर बुरा असर पड़ता है|वैज्ञानिकों का कहना है की लाइट भले ही डिम हो,लेकिन इससे व्यक्ति के तनावग्रस्त होने की आशंका बड जाती है|लाइट की रौशनी से व्यक्ति के सोने-जागने की नेचुरल साइकिल में हस्तक्षेप होता है|इतना ही नही इससे कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं,जैसे केंसर,मोटापा, और हृदय, रोग आदि|पूरी रात डिम लाइट के संपर्क में रहने से अगले दिन आलस महसूस करता है और फॉक्स करने की श्रमता प्रभावित भी होता है, लाइट के कारण ब्रेन स्ट्रक्चर में बदलाव आता है,जिसे'हिप्पोकेम्पस'के नाम से भी जानते हैं|यह स्थिति किसी व्यक्ति को डिप्रेशन में पहुँचाने में बहुत हद तक जिम्मेदार हो सकती है|
बेडरूम में नाईट बल्ब सेहत के लिए नहीं सेहतमंद...
रात में सोते समय कमरे की लाइट चला के रहने से व्यक्ति के मूड पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है|बेडरूम की लाइट चला के रखने से दिमाग पर बुरा असर पड़ता है|वैज्ञानिकों का कहना है की लाइट भले ही डिम हो,लेकिन इससे व्यक्ति के तनावग्रस्त होने की आशंका बड जाती है|लाइट की रौशनी से व्यक्ति के सोने-जागने की नेचुरल साइकिल में हस्तक्षेप होता है|इतना ही नही इससे कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं,जैसे केंसर,मोटापा, और हृदय, रोग आदि|पूरी रात डिम लाइट के संपर्क में रहने से अगले दिन आलस महसूस करता है और फॉक्स करने की श्रमता प्रभावित भी होता है, लाइट के कारण ब्रेन स्ट्रक्चर में बदलाव आता है,जिसे'हिप्पोकेम्पस'के नाम से भी जानते हैं|यह स्थिति किसी व्यक्ति को डिप्रेशन में पहुँचाने में बहुत हद तक जिम्मेदार हो सकती है|
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