आत्मोत्थान के सूत्र...



  • जो मनुष्य परमात्मा का ध्यान एवं चिन्तन प्रेम और श्रदापूर्वक करता है परमात्मा भी उसकी अविलम्बसहायता करता है|
  • न तो हमें उपवास करना चाहिए और न ही अधिक भोजन|भोजन में संयम रखना शरीर और मन दोनों के लिए उत्तम है|
  • वही मनुष्य ईशवर के दर्शन कर पाता है,जिसका अन्त:करण निर्मल पर पवित्र होगा|सदगुणों को अपना मुकुट बनाओ और बुराइयों को अपने पैरों के नीचे का पायदान|
  • दुखों:का मूल कारणयही है की हम केवल अपने अधिकारों की मांग तो करते हैं पर अपने कर्तव्यों का पालन करने से बचतें हैं|
  • मनुष्य के रूप में अथवा पशु-पक्षियों के रूप में परमात्मा तो सदा ही हमारी आँखों के समक्ष हैं-जैसे भी हो सके इन सबकी मदद एवं सेवा करें|

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