रंगोली:-लक्ष्मी जी को बुलावा


रंगोली :-


भारतीय जीवन शेली में रंगों का विशेष महत्व है| रंगों के बिना हमारा जीवन सुना लगता है |
रंगोली पहले से ही धार्मिक,सांस्कृतिक आस्थाओं की प्रतीक रही है|त्योहारों के अतिरिकित घर परिवार में अन्य कोई मांगलिक अवसरों पर या यूँ कहें की रंगोली सजाने की कला अब सिर्फ पूजागृह तक सीमित नही रह गयी है |स्त्रियाँ बड़े शोंक एवम उत्साह से घर के हर कमरे में तथा प्रवेश द्वार पर रंगोली बनाती है|


रंगोली की प्रथा :-
रंगोली संस्कृत का शब्द है,इसका अर्थ है,कला की वह सृजनात्मक अभिव्यक्ति जिसमे रंगों का प्रयोग हुआ हो |पुराणों में भी इस कला का वर्णन मिलता है|इसके पीछे एक रोचक कथा भी प्रचलित है |पुराने समय में एक राजा के राज्य में किसी बड़े धर्मगुरु के बेटे का देहांत हो गया था|इस से पूरा राज्य शोक में डूब गया था,तो सभी ने भगवान ब्रह्मा की बहुत उपासना की,जिससे भगवान प्रसन्न हो गये और उन्होंने राजा से कहा की वह उस लडके की तस्वीर फर्श पर रंगों के माध्यम से बनाये ताकि वह उसमे जान आ जाएगी और तभी से फर्श पर रंगोली बनाने की प्रथा प्रारंभ हुई |इसलिए चावल या चावल के पावडर और फूलों की रंगोली बनाकर ईशवर को प्रसन्न किया जाता है| खासकर दीपावली पर रंगोली बनाकर लक्ष्मी का आवाहन करते हैं|चावल से रंगोली बनाने का अर्थ है की हमारा घर हमेशा धन-धान्य से परिपूर्ण रहे|

कैसे बनाएं रंगोली :-
सबसे पहले रंगोली के डिजाईन का चयन कर लें |यह डिजाईन आपको आराम से किताबों और मैगजीन से मिल जायेंगे |फर्श पर डिजाईन बनाने से पहले फर्श को गीले कपडे से साफ़ कर ले और इसके अच्छी तरह सूखने के बाद ही रंगोली बनाना शुरू करें|अब चौक की मदद से फर्श पर रंगोली का डिजाईन बना लें |अब चुटकी में अलग-अलग रंग ले कर खाली भागो में भरते जाइये |इस दौरान इस बात का ध्यान रखिये की कोई भी दो रंग आपस में मिलने नही चाहिए |

रंगोली के रंग :-
रंगोली बनाने में आम तोर पर चावल, गेहूं,मैदा ,पेंट और अबीर का इस्तेमाल किया जाता है|लेकिन सबसे अच्छी रंगीली फूलों से बनाई जाती है|इस के लिए गैंदा,और गुलाब के साथ हरसिंगार के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है|जो सुंदर होंने के साथ सात्विकता भी प्रकट करता है|साथ ही हल्दी,कुमकुम,गुलाल आदि सूखे रंगों का प्रयोग किया जाता है|अब गीले रंगों को छोटे ब्रुश से बनाईये|सूखे रंगों की रंगोली हाथ के अंगूठे और ऊँगली की सहायता से बनाईये |

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