ग्रहण के समय करने और न करने वाली बातें ...


  • चन्द्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के समय संयम रख कर जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है|श्रेष्ठ साधक उस समय उपवास पूर्वक ब्राह्मी घृत का स्पर्श करके 'ॐ नमो नारायण'मन्त्र का ८००० जप करने के पश्चात ग्रहण शुद्ध होने पर उस घृत को पी लें|ऐसा करने से वह मेधा (धारण शक्ति )कवित्व शक्ति तथा वाक् सिद्धि प्राप्त कर लेता है|
  • देवी भगवत में आता है:सूर्य ग्रहण या चन्द्र ग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है,उतने वर्षों तक 'अरुन्तुद' नरक में वास करता है|फिर वह उदर रोग से पीड़ित मनुष्य होता है|फिर गुल्म रोगी,काना और दन्त हीनं होता है|अथ:सूर्य ग्रहण में ग्रहण से चार पहर(१२ घंटे)पूर्व और चंदर ग्रहण में तीन पहर(९ घंटे)पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए|बूढ़े,बालक और रोगी १.१/२ पहर(४.५ घंटे)पूर्व तक खा सकता हैं|ग्रहण पूरा होने पर सूर्य या चंद्र ,जिसका ग्रहण हो,उसका शुद्ध बिम्ब देख कर भोजन करना चाहिए|
  • ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पतियाँ डाल दी जाती हैं,वे पदार्थ दूषित नही होते|जब की पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय,कुत्ते को दाल कर नया भोजन बनाना चाहिए|
  • ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान,मध्य के समय होम ,देव-पूजन और श्राद्ध तथा अंत में सचेल (वस्त्र सहित)स्नान करना चाहिए|स्त्रियाँ सर धोये बिना भी स्नान कर सकती है|
  • ग्रहण काल में स्पर्श किया हुए वस्त्र आदि की शुधि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्र सहित स्नान करना चाहिए|
  • ग्रहण के समय गायों को घास,पक्षियों को अन्न,जरूरत मंदों को वस्त्र और उनकी आवश्यक वस्तु दान करने से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है|
  • ग्रहण के समय कोई भी शुभ या नया काम शुरू नही करना चाहिए |
  • ग्रहण के समय सोने से रोगी,लघुशंका करने से दरिद्र,मन त्यागने से कीड़ा,स्त्री प्रसंग करने से सूअर ,और उबटन लगाने से व्यक्ति कोढ़ी होता है|
  • गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए|
  • भगवान् वेद व्यास जी ने परम हितकारी वचन कहें हैं :सामान्य दिन से चंदर ग्रहण में किया गया पुण्य करम(जप,ध्यान,दान आदि)एक लाख गुना और सूर्य ग्रहण दस लाख गुना फलदायी होता है|यदि गंगा-जल पास में हो तो चंदर ग्रहण में एक करोड़ गुना और सूर्य ग्रहण में दस करोड़ गुना फलदायी होता है|
  • ग्रहण के समय गुरुमंत्र , भगवन्न नाम जप अवश्य करें ,न करने से मन हीनता प्राप्त होती है|

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